अधिकांश भारतीय टॉयलेट पेपर का उपयोग क्यों नहीं करते?

आज ये बहस हमेशा के लिये समाप्त हो जाएगी।

यह एक मक्का का भुट्टा है। ऐसे दो भुट्टे लें।


यह पीनट बटर है। (आप जानते हैं कि मेरा क्या मतलब है)


अब पीनट बटर में दोनों भुट्टे डुबोएं।

एक छोटा सा प्रयोग करते हैं।

अब टॉयलेट पेपर की मदद से एक भुट्टे से पीनट बटर को साफ करने की कोशिश करें।

एक पानी का फव्वारा लें और दूसरे भुट्टे को धोने की कोशिश करें।
कौन सा भुट्टा अधिक साफ है?

आपको क्या लगता है कि कौन सा तरीका बेहतर है? उनके पेंट के नीचे नीचे उनकी गंदगी कौन रखता है? अमेरिकी या भारतीय?

अमेरिका में टॉयलेट पेपर का बाजार 12 बिलियन से अधिक राजस्व उत्पन्न करता है। टॉयलेट पेपर कंपनियां नहीं चाहतीं कि लोग बुद्धिमान बनें और भारत के लोगों की तरह स्वच्छ पद्धति को अपनाएं।

नोट: बहुराष्ट्रीय कंपनियों का बस चले तो वो आपको ये साबित कर दें कि नवजात शिशु के लिये कोल्ड ड्रिंक मां के दूध से अधिक फायदेमंद है।

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