Alternate option for currency Bitcoin

करेंसी का वर्चुअल विकल्प!




करेंसी का वर्चुअल विकल्प 'बिटक्वाइन' एक बार फिर खबरों में है. पिछले करीब सात सालों से दुनियाभर में प्रचलित 'बिटक्वाइन' का निर्माता एक गुमनाम व्यक्ति सातोशी नाकामोतो को माना जाता था. लेकिन, पिछले सप्ताह इस मामले में नया मोड़ आया, जब आस्ट्रेलिया के एक तकनीकी कारोबारी क्रेग राइट ने दावा किया है कि डिजिटल कैश सिस्टम के तौर पर बिटक्वाइन को उसी ने बनाया था.

क्रेग राइट ने अपनी पहचान का खुलासा तीन मीडिया हाउसों- बीबीसी, द इकानॉमिस्ट और जीक्यू- के समक्ष किया है. राइट ने कहा है कि वही सातोशी नाकामोतो हैं और 2009 में उन्होंने ही इस करेंसी को लॉन्च किया था. शुरू में अपनी पहचान छिपाने को लेकर क्रेग ने कहा है कि बिटक्वाइन से संबंधित किसी भी तरह की नकारात्मक धारणा को खत्म करने के लिए उन्होंने ऐसा किया है.

बिटक्वाइन फाउंडेशन के संस्थापक निदेशकों में शामिल जॉन मैटोनिस ने भी क्रेग के दावे का समर्थन किया है. क्या है बिटक्वाइन, कैसे होता है इसका कारोबार, क्या है इसकी वैधता की स्थिति, इसका मौजूदा परिदृश्य और भविष्य की संभावनाएं, आदि के बारे में बता रहा है आज का 'साइंस टेक्नोलॉजी' पेज...

बिटक्वाइन' असल में वित्तीय लेन-देन का एक वर्चुअल माध्यम है, जिसका प्रयोग इंटरनेट की दुनिया में यानी वेबसाइट के माध्यम से होता है. मुद्रास्फीति, ब्याज दर और बाजार के उतार-चढ़ाव का इस करेंसी पर असर नहीं होता है. दुनियाभर में अब यह 'क्रिप्टोकरेंसी' का एक प्रचलित माध्यम है. इसके वितरण की अधिकतम संख्या 210 लाख तक रखी गयी है और इसकी कीमत वितरण में आयी बिटक्वाइन की संख्या से तय होती है. मौजूदा समय में प्रत्येक 10 मिनट में 25 बिटक्वाइन का निर्माण किया जाता है, लेकिन आगामी जुलाई में यह संख्या 12.5 तक सिमट सकती है, यानी प्रत्येक 10 मिनट में बिटक्वाइन निर्माण की संख्या मौजूदा समय के मुकाबले आधी हो सकती है.

क्यों कम हो रही है रफ्तार?

'द फ्लीट स्ट्रीट लेटर' नामक न्यूजलेटर के इन्वेस्टमेंट डायरेक्टर चार्ली मॉरिस के हवाले से 'मनी वीक' की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 'बिटक्वाइन' के निर्माण में कई जरूरी फैक्टर्स का ध्यान रखा जाता है. उन्होंने यह आशंका जतायी है कि अगले चार वर्षों में प्रत्येक दस मिनट में इसके निर्माण की संख्या इससे भी आधी हो सकती है. मौजूदा समय में करीब 155 लाख बिटक्वाइन हैं और इसके निर्माण के लिए तय किये गये नियमों के मुताबिक 210 लाख से ज्यादा संख्या में इसे नहीं बनाया जा सकता है. इसकी सीमित सप्लाई एक पावरफुल फोर्स है और इसी सीमा के कारण दुनियाभर में यह लोकप्रिय भी हुआ है.

क्रिप्टोकरेंसी आखिर है क्या?

क्रिप्टोकरेंसी को डिजिटल करेंसी कहा जा सकता है. 'क्रिप्टाेक्वाइन्स न्यूज' के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी सामान्य मुद्रा की तरह ही एक्सचेंज का एक माध्यम है, लेकिन इस मुद्रा का डिजाइन वर्चुअल तरीके से किया जाता है, न कि भौतिक रूप से. डिजिटल माध्यम से विनिमय के मकसद से इसे क्रिप्टोग्राफी के कुछ तय सिद्धांतों के अनुरूप डिजाइन किया जाता है. क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल ट्रांजेक्शन को सुरक्षित बनाये रखने और नये क्वाइन्स के निर्माण को नियंत्रित रखने में किया जाता है. क्रिप्टोकरेंसी के रूप में पहली बार 2009 में बिटक्वाइन की रचना की गयी थी, लेकिन मौजूदा समय में और भी कई ऐसी क्रिप्टोकरेंसीज हैं, जिन्हें अल्टक्वाइन्स के नाम से जाना जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास

सबसे पहला क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन है. इसके डिजाइन में 'एसएचए- 256' का इस्तेमाल किया गया है, जो अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी द्वारा डिजाइन किया गया क्रिप्टोग्राफिक हैश फंक्शंस का एक सेट है. 2011 में लिटक्वाइन जारी किया गया था, जिसे ऐसा पहला सफल क्रिप्टोकरेंसी बताया गया है, जिसमें 'एसएचए- 256' के बजाय स्क्रिप्ट को हैश फंक्शंस के तौर पर शामिल किया गया था. 2013 में लिटक्वाइन ने मीडिया का ध्यान उस समय आकर्षित किया, जब बाजार में इसकी कीमत एक अरब डॉलर को पार कर गयी़

क्या भारत में वैध है बिटक्वाइन?

बिटक्वाइन का भुगतान करनेवालों के गुमनाम होने के कारण कई देशों में इसका इस्तेमाल अवैध माना जाता है. हालांकि बिटक्वाइन की वैधता की स्थिति अलग-अलग देशों में भिन्न-भिन्न है.

जहां तक भारत की बात है, तो यहां रिजर्व बैंक ने इसे अब तक रेगुलेट नहीं किया है और इस्तेमालकर्ताओं को बेहद सतर्कता से काम करने को कहा है. वर्ष 2013 के बाद भारत में भी इसके इस्तेमाल की खबरें आयीं हैं. अहमदाबाद और बेंगलुरु की कई फर्मों ने इनका इस्तेमाल शुरू किया. इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने 'फेमा' यानी विदेशी विनिमय प्रबंधन एक्ट के तहत इसमें गड़बड़ी पाये जाने पर रोक लगा दी. पिछले वर्ष जांच के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने यह कहा कि भारत में बिटक्वाइन का ट्रांजेक्शन आतंकियों को फंडिंग मुहैया कराने, सट्टेबाजी और हवाला कारोबार को बढ़ावा दे सकता है. दिसंबर, 2013 में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रवर्ती ने एक बयान में कहा था कि बिटक्वाइन को रेगुलेट करने की रिजर्व बैंक की कोई योजना नहीं है.

हालांकि 'क्रिप्टाेक्वाइन्स न्यूज' के मुताबिक, भारत में यह प्रतिबंधित है. इस वेबसाइट ने उन देशों कीसूची प्रकाशित की है, जहां यह प्रतिबंधित है और इसमें भारत का नाम भी शामिल है. वहीं दूसरी ओर, भारत में बिटक्वाइन एक्सचेंज के सबसे लोकप्रिय वेबसाइट 'जेबपे डॉट कॉम' के सह-संस्थापक संदीप गाेयनका का कहना है कि भारत में यह पूरी तरह से अवैध नहीं है.

इसकी वैधता को दर्शाने के लिए उन्होंने एक लॉ फर्म नीशीथ देसाई एसोसिएट्स द्वारा जारी एक 'व्हाइट पेपर' का हवाला दिया है. उनका कहना है कि भारत में किसी भी मौजूदा कानून के मुताबिक बिटक्वाइन अवैध नहीं है. साथ ही उन्होंने सेंटर फॉर इंटरनेट एंड साेसायटी, इंडिया द्वारा पोस्ट किये गये एक लेख का भी हवाला दिया है, जिसमें इसका समर्थन किया गया है.

क्या भारत में इसका इस्तेमाल होता है?

हालांकि, भारत में इसका इस्तेमाल करनेवालों की संख्या बेहद कम है, लेकिन ऐसे बहुत से पोर्टल हैं, जहां इनका कारोबार होता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध होने के बावजूद सरकारी करों से बचने के लिए विदेशी लेन-देन में बहुत लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. भारत में कई वेंडर्स इसे स्वीकार करते हैं. विदेश में मौजूद वेंडरों को भारत से बिटक्वाइन भेजे जाने के भी अनेक मामले सामने आये हैं. कुछ भारतीय स्टार्टअप्स ने बिटक्वाइन वॉलेट सर्विस की शुरुआत भी की है. भारत में सबसे पहले 'बीटीसी एक्सइंडिया' ने इसकी शुरुआत की थी. हैदराबाद की इस फर्म ने रीयल-टाइम के आधार पर बिटक्वाइन एक्सचेंज की सेवा शुरू की थी.

'बिजनेस टुडे' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अहमदाबाद के एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने डिजिटल करेंसी के तौर पर इसकी शुरुआत की. कमीशन के तौर पर वे कुछ रकम भी लेते थे. बाद में उसने इस काम के लिए 'बाइसेलबिटको डॉट इन' के रूप में बाकायदा एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया.

यह भी जानें

बिटक्वाइन का वर्तमान और भविष्य

लो गों ने इंटरनेट का इस्तेमाल इसलिए शुरू किया, क्योंकि इसने दुनियाभर में सीमारहित, तेज और सस्ती सूचना और संचार मुहैया कराना शुरू किया था. इसी तरह बिटक्वाइन दुनियाभर में सीमारहित, तेज और सस्ती वित्तीय लेन-देन सेवा का विकल्प बन कर उभरी है. वर्ष 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद दुनियाभर में लोगाें ने मौजूदा वित्तीय व्यवस्था की कमजोरी को समझा था. लैटीन अमेरिका और रूस समेत अनेक देशों के केंद्रीय बैंक शून्य ब्याज दर से संचालित हो रहे हैं.

ऐसे में बिटक्वाइन ने नयी वित्तीय दुनिया को एक नया विजन दिया. कर्ज के बोझ से दबे देशों की पर्चेजिंग पावर में एकाएक कमी आने और उससे किसी संभावित नुकसान से संरक्षणहासिल के प्रति ऐसे देशों में बिटक्वाइन की खरीदारी ने आम लोगों में भरोसा पैदा किया है. पश्चिमी देशों का मौजूदा वित्तीय ढांचा बैंक और क्रेडिट कार्ड कंपनियों पर आधारित है. भारत में भी यही प्रवृत्ति विस्तार ले रही है.

हालांकि, सरकार की अनेक कोशिशों के बावजूद भारत में अब भी एक बड़ी आबादी बैंक और क्रेडिट या डेबिट कार्ड के दायरे से बाहर है. ऐसे में जिस तरह से मोबाइल फोन ने करोड़ों लैंडलाइन सिस्टम को खत्म कर दिया, उसी तरह से भारत में नयी पीढ़ी के लोग भविष्य में वित्तीय ढांचे के तौर पर बिटक्वाइन को स्थापित कर सकते हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी रूप से सक्षम होने के बाद इंटरनेट की तरह ही बिटक्वाइन आधारित वित्तीय ढांचा तैयार हो सकता है, जो दुनिया में एक नयी क्रांति ला सकता है. इंटरनेट की तरह ही बिटक्वाइन तक कोई भी फ्री में पहुंच हासिल कर सकता है और इसका नेटवर्क पूरी तरह से विकेंद्रीकृत होगा. साथ ही बिटक्वाइन का नेटवर्क सबसे तेज, सस्ता और आसान होगा, जिससे किसी भी व्यक्ति को आसानी से रकम भेजी जा सकेगी.

हालांकि, भारत समेत दुनिया के अनेक देशों में फिलहाल इसके इस्तेमाल पर कानूनी पाबंदी है, लेकिन देश में अनेक ऐसे कारोबारी फर्म हैं, जिनके माध्यम से इसका इस्तेमाल किया जा रहा है.

ब्रिटेन और सिंगापुर जैसी प्रोग्रेसिव सरकारों ने अपने-अपने देशों में इसके इस्तेमाल की मंजूरी दे रखी है. इतना ही नहीं, इन देशों ने इस मुद्रा के व्यापक प्रसार के लिए तमाम कंपनियों को समुचित माहौल मुहैया कराने का भरोसा भी दिया है.

भविष्य में इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ने के बारे में 'न्यूजबीटीसी' की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि विकासशील देशों में रहनेवाले अरबों लोग भविष्य में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर इसमें बताया गया है कि अफ्रीका के दूरदराज इलाकों में रहनेवाले निवासी अपने कारोबार को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए बिटक्वाइन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

चूंकि इसकेे इस्तेमाल के लिए खास तकनीकी दक्षता और तकनीकी साधनों की दरकार नहीं होती, लिहाजा वे आसानी से भुगतान हासिल कर सकेंगे.

50,000 बिटक्वाइन वॉलेट बन चुके हैं भारत में ट्रैक डॉट इन की रिपोर्ट के मुताबिक, बिटक्वाइन के वैश्विक कारोबार में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. दिसंबर, 2015 में इसका कारोबार प्रति माह 35 अरब डॉलर तक था. रिपोर्ट के मुताबिक, डेल, एक्सपीडिया, ओवरस्टॉक और जापान की इ-कॉमर्स कंपनी रकुटेन समेत ऐसी अनेक बड़ी कंपनियां हैं, जिन्होंने अपने वेबसाइट पर बिटक्वाइन को स्वीकार करना शुरू कर दिया है.

भारत में भले ही इसके बढ़ने की गति धीमी है, लेकिन लोगों में इसके प्रति जागरुकता तेजी से बढ़ रही है. भारत में सालाना इसका कारोबार 500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. भारत में करीब 50,000 बिटक्वाइन वॉलेट बन चुके हैं और रोजाना करीब 700 से 800 तक बिटक्वाइन का कारोबार होता है. रिपोर्ट के मुताबिक, पाबंदी के बावजूद चीन में भी इसका इस्तेमाल व्यापक पैमाने पर होता है.

क्या बिटक्वाइन वहनीय मुद्रा का स्वरूप ले सकती है?

इसमें भरोसा जताने वालों का मानना है कि सरकारी नियंत्रण से मुक्त यह डिजिटल करेंसी आज की तारीख में वित्तीय लेन-देन में एक बड़े खिलाड़ी की भूमिका में आ चुका है. उनका मानना है कि मौजूदा मुद्रा प्रणाली को यह रिप्लेस कर सकती है. खासकर अस्थिर सरकारों और अर्थव्यवस्था वाले देशों में यह वर्चुअल करेंसी लोगों के बीच प्रभावी भूमिका निभा सकती है. यही कारण है कि अनेक देशों की सरकारें इसे रेगुलेट करने के रास्ते

तलाश रही है.

No comments:

Post a Comment